भारत की सिंधु जल नीति: सम्बंधित तथ्यों का विश्लेषण

1. झेलम (Jhelum):उद्गम: जम्मू और कश्मीर (India)
अपवाह क्षेत्र: पाकिस्तान
महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ: चिनाब
Exam Fact: झेलम पाकिस्तान को सिंधु जल संधि के तहत आवंटित है।
2. चेनाब (Chenab):उद्गम: हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर
अपवाह क्षेत्र: पाकिस्तान
महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ: झेलम, रावी
Exam Fact: यह नदी पाकिस्तान के पंजाब में बहती है और कृषि के लिए जल प्रदान करती है।
3. रावी (Ravi):उद्गम: हिमाचल प्रदेश
अपवाह क्षेत्र: पाकिस्तान
महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ: ब्यास
Exam Fact: भारत को सिंधु जल संधि के तहत रावी का जल आवंटित किया गया है।
4. ब्यास (Beas):उद्गम: हिमाचल प्रदेश
अपवाह क्षेत्र: भारत (Punjab)
महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ: लहरी, तवी
Exam Fact: ब्यास को भारत को आवंटित किया गया है और यह पंजाब के जल आपूर्ति में अहम भूमिका निभाती है।
5. सतलज (Sutlej):उद्गम: तिब्बत (Tibet)
अपवाह क्षेत्र: भारत और पाकिस्तान
महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ: ब्यास, हलकी, गंगा
Exam Fact: सतलज भारत के लिए सिंधु जल संधि के तहत आवंटित है और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
1. किशनगंगा जलविद्युत परियोजना (Kishanganga Hydroelectric Project)➡️निर्माण प्रारंभ: 2007
संचालन प्रारंभ: 2018 में सभी तीन 110 MW इकाइयाँ समन्वित की गईं
➡️विशेषताएँ:
स्थान: बांदीपोरा, जम्मू और कश्मीर
प्रकार: रन-ऑफ-द-रिवर (Run-of-the-River)
संचालित क्षमता: 330 MW
डेम प्रकार: 37 मीटर ऊँचा कंक्रीट-फेस्ड रॉकफिल डेम (CFRD)
➡️जलवितरण: जल को किशनगंगा नदी से जिहलम नदी बेसिन में स्थानांतरित किया जाता है
➡️ सामरिक महत्व: पाकिस्तान ने इस परियोजना पर आपत्ति जताई है, क्योंकि यह सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को आवंटित जल स्रोतों से संबंधित हैअंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के बाद, भारत को न्यूनतम जल प्रवाह बनाए रखने का निर्देश दिया गया है
2. दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना (Dulhasti Hydroelectric Project)➡️ निर्माण प्रारंभ: 2004
संचालन प्रारंभ: 2007 में सभी तीन 130 MW इकाइयाँ समन्वित की गईं
 
विशेषताएँ:
स्थान: किश्तवाड़, जम्मू और कश्मीर
प्रकार: रन-ऑफ-द-रिवर (Run-of-the-River)
संचालित क्षमता: 390 MW
डेम प्रकार: 70 मीटर ऊँचा कंक्रीट-ग्रेविटी डेम
जलवितरण: जल को चेनाब नदी से स्थानांतरित किया जाता है
 
➡️ सामरिक महत्व: यह परियोजना भारत के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करती है। पाकिस्तान ने इस परियोजना पर भी आपत्ति जताई है, क्योंकि यह सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को आवंटित जल स्रोतों से संबंधित है।
3. रतले जलविद्युत परियोजना (Ratle Hydroelectric Project)➡️निर्माण प्रारंभ: 2022
निर्माण स्थिति: निर्माणाधीन
निर्धारित संचालन प्रारंभ: 2026 (अनुमानित)
 
➡️ विशेषताएँ:
स्थान: ड्रबशाला, किश्तवाड़, जम्मू और कश्मीर
प्रकार: रन-ऑफ-द-रिवर (Run-of-the-River)
संचालित क्षमता: 850 MW
डेम प्रकार: 133 मीटर ऊँचा कंक्रीट-ग्रेविटी डेम
जलवितरण: जल को चेनाब नदी से स्थानांतरित किया जाएगा
➡️ सामरिक महत्व:
पाकिस्तान ने इस परियोजना पर आपत्ति जताई है, क्योंकि यह सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को आवंटित जल स्रोतों से संबंधित है।यह परियोजना जम्मू और कश्मीर के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करती है

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